पांच चीज़ों की तरफ़ देखना इ़बादत پانچ چیزوں کی طرف دیکھنا عبادت

 मुरव्वजह रिवायात का ‌इ़ल्मी जाएज़ा❺


पांच चीज़ों की तरफ़ देखना इ़बादत


रिवायत: एक रिवायत मुख्तलिफ अल्फ़ाज़ के साथ बयान की जाती है जिस में पांच चीज़ों का ज़िक्र है कि उन को देखना भी इ़बादत है, वह पांच चीज़ें यह हैं: 1.बैतुल्लाह (काबा) की तरफ़ देखना 2.मां बाप को देखना 3.उलमा-ए-किराम के चेहरे को देखना 4. ज़म ज़म के पानी को देखना 5. क़ुरआन पाक को देखना।


तह़क़ीक़: इस रिवायत को देलमी ने मुस्नदुल फ़िरदौस में इन अल्फ़ाज़ में नक़ल किया है कि: पांच चीज़ें इ़बादत में शामिल हैं: कम खाना, मसजिद में बैठना, काबा को देखना, क़ुरआन मजीद में देखना और आलिम के चेहरे को देखना। बाज़ कुतुब में "वालिदैन को देखना और ज़म ज़म को देखना" का भी इज़ाफ़ा है। (1)

अ़ल्लामा मनावी رحمہ اللہ ने इस रिवायत के एक रावी का "मतरूक" होना नक़ल किया है। अ़ल्लमा इब्ने जोजी़ رحمہ اللہ ने इस रिवायत को सनद के साथ नक़ल फरमा कर इस पर कलाम किया है। (2)

रिवायत के इस टुकड़े (आलिम के चेहरे को देखना इबादत है) को हाफ़िज़ सख़ावी, मुल्ला अ़ली क़ारी और अ़ल्लामा अ़जलूनी رحمہم اللہ ने मोज़ू क़रार दिया है। (3)



लिहाज़ा यह रिवायत सख़्त ज़ईफ़ है, इसे बयान करने से इजतिनाब करना और बचना चाहिए।

हिंदी तर्जुमा व तरतीब: अल्तमश आलम क़ासमी

حوالہ

(1) (الفتح الکبیر فی ضم الزیادة الی الجامع الصغیر للسیوطی : 87/2، ط ، دارالفکر بیروت)


(2) (العلل المتناھیة فی الاحادیث الواھیةللابن جوزی 244/2، ط، إدارة العلوم الأثرية، فيصل آباد۔)


(3) المقاصد الحسنة رقم 1251

● الموضوعات الکبری رقم 1006

دار الافتاء الاخلاص آن لائن، مجلس الفتاوی


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