मुरव्वजह रिवायात का इ़ल्मी जाएज़ा
حضرت بلال رضی اللہ عنہ کا اذان میں أشہد کی جگہ أسہد پڑھنا
हज़रत बिलाल رضی اللہ عنہ का अजान में أشهد की जगह أسهد (सीन के साथ) पढ़ना
"रिवायत ⑫
एक रिवायत बयान की जाती है कि: "हज़रत बिलाल (अज़ान में अशहदु की जगह) "असहदु" पढ़ा करते थे, यानी शीन को सीन करके पढ़ा करते थे।" या यह रिवायत कि: "हज़रत बिलाल رضی اللہ عنہ की शीन अल्लाह के नज़दीक सीन है।"
तह़क़ीक़:
इस रिवायत को कई मुह़द्दिसीन ने बे बुनियाद, मौज़ू और ह़ज़रत बिलाल رضی اللہ عنہ की शान में तन्क़ीस और गुस्ताखी क़रार दिया है, अ़ल्लामा अ़जलूनी رحمہ اللہ फरमाते हैं कि हज़रत बिलाल رضی اللہ عنہ के हा़लात में लिखा है कि आप खूबसूरत आवाज़ और उ़मदा कलाम के मालिक थे, और अगर आप की ज़बान में किसी तरह की हकलाहट होती, तो यह बात बहुत ज़्यादा रिवायतों में होती। (क्यूंकि आप हुज़ूर अक़दस ﷺ के मुअज्जि़न थे और दिन में पांच बार अजा़न देते थे) और मुनाफिक़ीन जो मुसलमानों के ऐ़ब ढूंढने और कमी निकालने का कोई मौक़ा हाथ से ना जाने देते थे, वह ज़रूर इस चीज़ पर ऐतराज़ करते।
बल्कि अ़ल्लामा अ़जलूनी رحمہ اللہ ह़ज़रत इब्राहीम नाजी के हवाले से लिखते हैं (कि उन को इस रिवायत के झूठी होने का इतना यकी़न था) कि वह फरमाते थे कि मैं अल्लाह की क़सम खा कर कहता हूं कि ह़ज़रत बिलाल رضی اللہ عنہ ने कभी "أسهد" सीन के साथ नहीं कहा।
इन के अलावा दीगर मुह़द्दिसीन ने भी इस रिवायत को मौज़ू और बे बुनियाद क़रार दिया है, इस लिए इस रिवायत को बयान करना दुरुस्त नहीं।
हिंदी तर्जुमा व तरतीब: अल्तमश आ़लम क़ासमी
(كشف الخفاء رقم ١٥٢٩، الدرر المنتثرة، الموضوعات الكبرى، المقاصد الحسنة)
ماخوذ: چند معروف لیکن غیر مستند احادیث ص: 104
نیز دیکھیے:
مروّجہ موضوع احادیث کا علمی جائزہ ص: 228
غیر معتبر روایات کا فنی جائزہ 311/2
عمدۃ الاقاویل فی تحقیق الاباطیل ص: 226
حکیم الامت کا منگھڑت روایات پر تعاقب ص: 103
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