औलाद के नाम कैसे हों? पार्ट-2


बच्चों की तरबियत क़िस्त: (2)


औलाद के नाम कैसे हों? पार्ट-2


बच्चों का प्यारा और अच्छा नाम रखना अल्लाह और अल्लाह के रसूल ﷺ को बहुत पसंद है।

ह़दीस में आता है:

"إِنَّكُمْ تُدْعَوْنَ يَوْمَ الْقِيَامَةِ بِأَسْمَائِكُمْ وَبِأَسْمَاءِ آبَائِكُمْ فَأَحْسِنُوا أَسْمَاءَكُمْ"

(अबू दाऊद, हदीस: 4948)

तर्जुमा: "क़ियामत के दिन तुम्हें तुम्हारे नाम और तुम्हारे वालिदों के नाम से पुकारा जाएगा, इसलिए अपने नाम अच्छे रखो।"


नामों में सबसे अच्छा और पसंदीदा नाम वह है जिसमें अल्लाह तआ़ला की बन्दगी (इ़बादत) और उसकी ह़म्द व तारीफ ज़ाहिर होती हो।

ध्यान देने की बात यह है कि बच्चों का बुरा नाम न रखें,

क्योंकि नबी ﷺ अगर किसी बच्चे का बुरा नाम सुनते तो आप उसका नाम बदल देते थे।

(तिर्मिज़ी शरीफ़)


और बच्चों को बुरे लक़ब (और ग़लत निकनेम) से भी न पुकारें, जैसा कि अल्लाह तआ़ला का इरशाद है:

"وَلَا تَنَابَزُوا بِالْأَلْقَابِ"

(सूरतुल ह़ुजरात: 11)

तरजुमा: तुम किसी को बुरे लक़ब (नाम) से न पुकारो।


इसी तरह अधूरे नाम से भी न पुकारें।

जैसे “अ़ब्दुर्रह़मान” से सिर्फ़ “रह़मान” कहना,

या “अ़ब्दुलग़फ़्फ़ार” से सिर्फ़ “ग़फ़्फ़ार” कहना —

क्योंकि “रह़मान” और “ग़फ़्फ़ार” अल्लाह तआ़ला के सिफ़ाती नाम हैं।

और बन्दे को अल्लाह के सिफ़ाती नामों से पुकारना सही नहीं है,

इसीलिए जिन लोगों का नाम अल्लाह के सिफ़ाती नामों पर होता है,

उनके नाम की शुरुआत में “अ़ब्द” लगाया जाता है जैसे “अब्दुर्रहमान” या “अब्दुर्रहीम”।

["अ़ब्द" के माना: बन्दा तो "अब्दुर्रह़मान" के माना रह़मान का बंदा]

इसलिए “रह़मान” या “रही़म” कहकर बुलाने से मना किया गया है,

बल्कि कहा गया है कि उसे “अ़ब्दुर्रह़मान” या “अ़ब्दुर्रही़म” कहकर पुकारो।

(जारी है)


📚(बच्चों की तरबियत और उस के बुनियादी उसूल)

हिंदी अनुवाद व आसान रूप:

अल्तमश आ़लम का़समी 

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