बच्चों की तरबियत क़िस्त: (1)
औलाद के नाम कैसे हों? पार्ट-1
इंसान के ह़सब व नसब की बक़ा के लिए अल्लाह तआ़ला ने इस दुनिया में औलाद का सिलसिला जारी किया।
औलाद, अल्लाह तआ़ला की मिंन-जुमला तमाम नेमतों में से एक बेश-बहा नेमत है।
वह दुनियावी ज़िंदगी के लिए गिराँ-क़दर नेमत व ज़ीनत है, और आख़िरत के लिए क़ीमती सरमाया और ज़खीरा है।
हमारे लिए ज़रूरी है कि बच्चों से मोह़ब्बत, शफ़क़त और हमदर्दी का मामला करें।
नबी करीम ﷺ का इरशाद है:
"کُلُّكُمْ رَاعٍ وَكُلُّكُمْ مَسْئُوْلٌ عَنْ رَعِيَّتِهِ"
तर्जुमा: "तुम में से हर एक शख़्स ज़िम्मेदार है, और तुम में से हर एक से उसके मातहतों के बारे में सवाल किया जाएगा।"
अहादीस-ए-मुबारका में औलाद की तर्बियत और हुस्न-ए-परवरिश पर बड़े फ़ज़ाइल वारिद हुए हैं।
अल्लाह के नबी ﷺ ने फ़रमाया:
"ऐ लोगो! तुम सब अपनी औलाद का इकराम करो, और उन्हें (तालीम व तर्बियत के ज़रिए) हुस्न-ए-अदब से आरास्ता करो।" (इब्ने माजह:3671)
क्योंकि जिस तरह औलाद के ज़िम्मे वालिदैन के हक़ूक़ हैं, उसी तरह वालिदैन के ज़िम्मे औलाद के भी कई हक़ूक़ हैं।
आप ﷺ ने फ़रमाया:
"जिसको अल्लाह तआ़ला ने औलाद की नेमत से सरफ़राज़ किया है, तो उसको चाहिए कि उसका अच्छा नाम रखे।” (शुअ़बुल ईमान लिल-बैहक़ी)
जब बच्चे की विलादत हो, तो मुरब्बियीन [तर्बियत करने वाले] बच्चे का प्यारा और पसंदीदा नाम रखें — क़ाबिल-ए-अज़्ज़त, बाइस-ए-फ़रहत, बामअना और बावस्फ नाम तय किया जाए।
[इज़्ज़त, खुशी और अच्छे मतलब वाला नाम रखा जाए।]
यह एक मुस्तह़सन [और बेहत्रीन] अ़मल है, जो ख़ानदान और समाज में बच्चे की पहचान और तआरुफ़ का ज़रिया बनता है।
(जारी है)
(बच्चों की तरबियत और उस के बुनियादी उसूल)
हिंदी अनुवाद व आसान रूप:
अल्तमश आ़लम का़समी

0 टिप्पणियाँ