मस्जिद का सामान ईद गाह लेजाना

 

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✡️मस्जिद का सामान ईद गाह लेजाना ✡️

(मुफ़्ती )नासिरुद्दीन मजाहिरी 

      26 \6\2023


 उलामा की सोहबत(संगति )को लाज़िम पकड़ने की हिदायत रसूलुल्लाह (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने दी है।

उलमा दीन के वो चराग़ हैं जिन से रोशनी की किरणें निकल कर जिहालत के अंधेरों को दूर करती हैं 

अफ़सोस की बात है कि आज ... तक़वा और दीनदारी,हलाल व हराम चीज़ों के इस्तेमाल व परहेज़ और इसी तरह अल्लाह से ताल्लुक़ कैसे बने इस बारे में हम उन से कोई बात नहीं पूछते...

अब यही देख लीजिए :आमतौर से ईदगाह में मस्जिदों की चटाइयाँ लेजाई जाती हैं, मस्जिदों के ख़ुत्बे ले जाये जाते हैं, मस्जिदों के माइक भी ले जाये जाते हैं, यानि मस्जिद का सारा सामान ईदगाह में पहुंचा दिया जाता है। यह गलती हमसे इसलिए होती है क्योंकि हमने कभी किसी आलिम से जानने की कोशिश नहीं की, हमने किसी दीनी बात के बारे में पूछना अपनी तौहीन समझा, जिसका नतीजा ये यह हुआ कि हम बार-बार यहां तक कि हर साल गुनाहगार बनते हैं और हमें इसका एहसास भी नहीं है.

दारुल उलूम देवबंद के दारुल इफ्ता से एक साहब ने मालूम किया :

क्या मस्जिद के सामान को किसी दूसरी जगह इस्तेमाल किया जा सकता है? जैसे मस्जिद की चटाई का इस्तेमाल ईदगाह में ईद की नमाज़ के लिए किया जा सकता है? या कोई इसे अपने घर में इस्तेमाल कर सकता है, या कोई दूसरा शख्स मस्जिद के सामान को किसी दूसरी जगह पर इस्तेमाल कर सकता है? क्या यह इस्तेमाल जायज़ है या नहीं?

 दारुल-इफ्ता के मुफ़्ति हज़रात ने जवाब लिखा के:

मस्जिद के सामान का दूसरी जगह इस्तेमाल करना जायज़ नहीं है; इसलिए मस्जिद की चटाई या किसी भी सामान को मस्जिद में या अपने घर में इस्तेमाल के लिए लाना शरीयत में सही नहीं है। (फतवा-ए-हिंदिया)

इसी तरह एक और साहब ने पूछा कि मस्जिद में कोई ज़रूरत नहीं है, लेकिन मस्जिद में पैसा और दुसरे सामान हैं,तो किया इस पैसे और सामन को ऐसी मस्जिद में लगा सकते हैं, जहां इसकी सख्त ज़रूरत हो ? तो सवाल का जवाब दिया गया:

"जिस मस्जिद के लिए दिया गया है,अगर उस मस्जिद में फिलहाल कोई ज़रूरत नहीं है, तो इस चंदे को मुस्तक़बिल (भविष्य) की ज़रूरत के लिए हिफाज़त से बचा कर रखें । एक मस्जिद के चंदे (दान )को दूसरी मस्जिद में इस्तेमाल करना देने वाले की मंशा के खिलाफ ( विरुद्ध) है , इसलिए यह सही नहीं है। अगर किसी दूसरी मस्जिद को ज़रूरत हो तो उसके लिए अलग से चंदा कर लिया जाये।

हमारे बहुत से सादा लौह ( सरल स्वभाव वाले) मुसलमान मस्जिद से कुरान ए करीम ,और बुहत से ढीट क़िस्म के लोग मस्जिद की चटाई, लोटे सफें वगैरह वापसी के इरादे से ही सही अपने घरों में ले जाते हैं। इस तरह का हर अमल दीन व शरीयत के खिलाफ है इस तरह के कामों से खुद भी बचना चाहिए और दूसरों को भी बचाना चाहिए .जो चीज़ मालूम ना हो उसे अहल ए इल्म से मालूम करना आप की ज़िम्मेदारी है।


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