मसबूक़ के लिए वित्र में दुआ़ ए कु़नूत का हुक्म

 


✨❄ इस़लाहे़ अग़लात़: अ़वाम में राएज ग़लतियों की इसलाह़ ❄✨

सिलसिला नम्बर 1295:


🌻 मसबूक़ के लिए वित्र में दुआ़ ए कु़नूत का हुक्म

(मसबूक़ उस मुक़्तदी को कहते हैं जो शुरू की रकातें निकल जाने के बाद जमात में शामिल हुआ हो)


📿 मसबूक़ शख्स वित्र की नमाज़ में दुआ़ ए कु़नूत कब पढ़े?


माहे रमजा़न में वित्र की नमाज़ बा जमात अदा करते वक़्त अगर किसी शख्स से एक या दो रकात निकल गईं और वह तीसरी रकात में शरीक हुआ और उसने इमाम के साथ दुआ़_ए_कु़नूत पढ़ ली या उसको इमाम के साथ तीसरी रकात का रुकू मिल गया और वह दुआ़_ए_कु़नूत ना पढ़ सका, तो इन दोनों सूरतों में जब वह इमाम के सलाम के बाद अपनी बाक़ी नमाज़ पूरी करेगा तो वह उस में दुआ़_ए_कु़नूत नहीं पढ़ेगा।

अलबत्ता जिस शख्स से तीनों रकात ही निकल चुकी हों यानी वह तीसरी रकात के रुकु के बाद ही इमाम के साथ शामिल हुआ हो, तो ऐसी सूरत में जब वह इमाम के सलाम के बाद अपनी बाक़ी नमाज़ पूरी करेगा, तो वह अपनी तीसरी रकात में दुआ़_ए_कुनूत पढ़ेगा।


☀ الدر المختار:

وَأَمَّا الْمَسْبُوقُ فَيَقْنُتُ مَعَ إمَامِهِ فَقَطْ وَيَصِيرُ مُدْرِكًا بِإِدْرَاكِ رُكُوعِ الثَّالِثَةِ. (باب الوتر والنوافل)

☀ الفتاوى الهندية:

الْمَسْبُوقُ يَقْنُتُ مَعَ الْإِمَامِ وَلَا يَقْنُتُ بَعْدَهُ، كَذَا فِي «الْمُنْيَةِ»، فَإِذَا قَنَتَ مَعَ الْإِمَامِ لَا يَقْنُتُ ثَانِيًا فِيمَا يَقْضِي، كَذَا فِي «مُحِيطِ السَّرَخْسِيِّ» فِي قَوْلِهِمْ جَمِيعًا، كَذَا فِي «الْمُضْمَرَاتِ». وَإِذَا أَدْرَكَهُ فِي الرَّكْعَةِ الثَّالِثَةِ فِي الرُّكُوعِ وَلَمْ يَقْنُتْ مَعَهُ لَمْ يَقْنُتْ فِيمَا يَقْضِي. 

(الْبَابُ الثَّامِنُ فِي صَلَاةِ الْوِتْرِ)


✍🏻___ मुफ्ती मुबीनुर रह़मान साह़ब दामत बरकातुहुम

फाज़िल जामिआ़ दारुल उ़लूम कराची

हिंदी तर्जुमा व तस्हील:

अल्तमश आ़लम क़ासमी

🪀9084199927

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