तरावीह़ की जमात में औ़रतों की शिरकत का हु़क्म

 


तरावीह़ की जमात में औ़रतों की शिरकत का हु़क्म


औरतों के लिए घर में नमाज़ पढ़ना अफज़ल है,
खुसूसन मौजूदा पुर फितन दौर में खवातीन के लिए यही हु़क्म है कि वो अपने घरों में नमाज़ अदा करें, यही उन के लिए ज़्यादा अज्र व सवाब का बाइ़स है; लिहाज़ा औरतों का घर से बाहर जाकर मस्जिद या किसी भी दुसरी जगह में तरावीह की जमात में शरीक होना दुरुस्त नहीं।

अलबत्ता अगर अपने घर में ही तरावीह़ की जमात हो रही हो, और घर का मर्द ही घर में तरावीह़ की इमामत करे और उस के पीछे कुछ मर्द हों और घर ही की कुछ औ़रतें पर्दे में उस की इक़्तिदा में हों, और इमाम औरतों की इमामत की नियत करे, तो इस तरह औरतों के लिए तरावीह़ की नमाज़ में शिरकत करना दुरुस्त है।

इसी तरह अगर इमाम तनहा हो यानी उस के अ़लावा कोई दूसरा मर्द ना हो और मुक़्तदी सब औरतें हों और औरतों में इमाम की कोई मेहरम खातून भी मौजुद हो और इमाम औरतों की इमामत की नियत भी करे, तो इस सूरत में भी तरावीह दुरुस्त है। घर की जो खवातीन इमाम के लिए नामह़रम हों वो पर्दे का एहतिमाम करके शरीक हों।

लेकिन अगर इमाम तनहा हो और मुक़्तदी सब औरतें हों और औरतों में इमाम की कोई मेहरम खातून या बीवी ना हो, तो ऐसी सूरत में इमाम के लिए औरतों की इमामत करना मकरूह होगा, लिहाज़ा ऐसी सूरत से बचा जाए।
فقط واللہ اعلم
माखूज़: फतवा बिन्नौरी टाउन कराची
144008200671
हिंदी तर्जुमा व तर्तीब:
अल्तमश आ़लम क़ासमी

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