जब भी दुनिया तंग होने लगे और परेशानी बढ़ जाए



 जब भी दुनिया तंग होने लगे और परेशानी बढ़ जाए

तो ख़ूब सदक़ा करो।


सदक़ा बलाओं को दूर करता है।


अल्लाह तआला फरमाते हैं :

فَأَمَّا مَنْ أعطى واتقى . 

सो जिसने (सदक़ा ख़ैरात) दिया और (अल्लाह से) डरा।

فَسَنُيَسِّرُهُ لليسرى.

तो हम उसके लिए राहत की चीज़ आसान कर देंगे।


अगर दुनिया आप पर तंग हो जाए, मुश्किलें, परेशानियां और उदासियों के बादल छा जाएं तो अपने माल और अपने दिल से सदक़ा दो, भूखों को खाना खिलाओ, और भटके हुए को रास्ता दिखाए, गिरते हुए को थाम लो, और क़र्ज़ की अदायगी में मददगार बनो।


सदक़ा सिर्फ रुपये पैसों से ही नहीं है, किसी शिकस्ता ख़ातिर की दिलजोई करना सदक़ा है, किसी रोते के आंसू पोंछना सदक़ा है, टूटे दिलों को जोड़ना सदक़ा है। किसी को तसल्ली देना और हिम्मत देना सदक़ा है, किसी पर खुशी दाखिल करना सदक़ा है।


लेकिन साथ ही एक बात याद रखें कि गुनाह और नाफरमानी रंजो ग़म और परेशानियों को लौह-चुम्बक की तरह खींचता है और इबादत और सदक़ात से ज़्यादा दिलों को सुकून देने वाली कोई चीज़ नहीं।


तो जब भी दिल दिमाग परेशानी का शिकार हो इबादत की तरफ लौट आईए और सदक़ा का प्रमाण बढ़ा दीजिए।

✍️ Mufti Siraj Sidat

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