वाक़्या मेअ़राज और अत्तह़िय्यात का पसे मंज़र



 📿 वाक़्या मेअ़राज और अत्तह़िय्यात का पसे मंज़र:


बाज़ कुतुब में अत्तह़िय्यात से मुतअ़ल्लिक़ ये पसे मंज़र लिखा है कि मेअ़राज की रात ह़ुज़ूर अक़दस ﷺ ने अल्लाह तआ़ला से फ़रमाया: اَلتَّحِیَّاتُ لِلّٰہِ وَالصَّلَوَاتُ وَالطَّیِّبَاتُ (तमाम क़ोली इ़बादतें, फ़ेअ़ली इ़बादतें और माली इ़बादतें अल्लाह ही के लिए हैं) तो जवाब में अल्लाह तआ़ला ने फ़रमाया कि: اَلسَّلَامُ عَلَیْكَ اَیُّهَا النَّبِیُّ وَرَحْمَةُ اللّٰہِ وَبَرَکَاتُهٗ (सलाम हो आप पर ऐ नबी और अल्लाह की रह़मतें और उसकी बरकते हों) तो ह़ुज़ूर अक़दस ﷺ ने जवाब में फ़रमाया कि: اَلسَّلَامُ عَلَیْنَا وَعَلٰی عِبَادِ اللّٰہِ الصَّالِحِیْنَ (सलाम हो हम पर और अल्लाह के नेक बंदों पर).


➡️ तब्सिरह:

वाक़्या मेअ़राज और अत्तह़िय्यात से मुतअ़ल्लिक़ जितनी भी मुअ़तबर अह़ादीस कुतुबे अह़ादीस में मौजूद हैं, उन में ये वाक़्आ़ कहीं मज़कूर नहीं, ह़त्ता कि इमाम-उल-अ़स्र ख़ातिमतुल मुह़द्दिसीन मुह़क़्क़िक़े जलील ह़ज़रत अ़ल्लामा अनवर शाह कश्मीरी रह़िमहुल्लाह "العرف الشذی شرح سنن الترمذی‘‘ में फ़रमाते हैं कि:

"मुझे इसकी कोई सनद नहीं मिल सकी।"

इसलिए अत्तह़िय्यात का ये पसे मंज़र बयान करने से इज्तिनाब करना (और बचना) चाहिए।


☀ العرف الشذی شرح سنن الترمذی میں ہے: 

وذكر بعض الأحناف: قال رسول الله ﷺ في ليلة الإسراء: «التحيات لله» إلخ، قال الله تعالى: السلام عليك أيها النبي إلخ، قال رسول الله ﷺ: «السلام علينا وعلى عباد الله» إلخ، ولكني لم أجد سند هذه الرواية، وذكره في «الروض الأنف». (باب ما جاء في التشهد)


✍🏻___ मुफ्ती मुबीनुर रह़मान साह़ब दामत बरकातुहुम

फाज़िल जामिआ़ दारुल उ़लूम कराची

हिंदी तर्जुमा व तस्हील:

अल्तमश आ़लम क़ासमी

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