ई़दैन में मुक़्तदी अगर ज़ाइद तकबीरात अदा हो जाने के बाद नमाज़ के लिए पहुंचे तो उसका ह़ुक्म



 📿 ई़दैन में मुक़्तदी अगर ज़ाइद तकबीरात अदा हो जाने के बाद नमाज़ के लिए पहुंचे तो उसका ह़ुक्म:


मुक़्तदी अगर ई़द की नमाज़ के लिए तकबीरात अदा हो जाने के बाद पहुंचे, तो उस की कई सूरते हैं, हर एक का ह़ुक्म नीचे लिखा जाता है:


1️⃣ अगर कोई शख़्स ई़द की नमाज़ के लिए ऐसे वक़्त में पहुंचा कि, इमाम ई़द की तकबीरात कह कर क़िराअत शुरू कर चुका था, तो इस सूरत में तकबीरे तह़रीमा कहकर हाथ बांधने के बाद फ़ौरन 3 तकबीरात कह ले (दो में हाथ उठा कर छोड़ दे, तीसरी तकबीर में हाथ बांध ले) उस के बाद इमाम की क़िराअत ख़ामोशी से सुने।


2️⃣ अगर कोई शख़्स पहली रकात में उस वक़्त पहुंचा कि, इमाम रुकू में जा चुका था, तो:

◼️ अगर उसको यह ग़ालिब (ज़्यादा) गुमान हो कि, मैं क़याम यानी खड़े होने की हा़लत में ही 3 तकबीरात कहकर इमाम के साथ रुकू में शामिल हो जाऊंगा, तो नियत बांधने के बाद क़याम की हा़लत में 3 तकबीरात कहकर रुकू में शामिल हो जाए।


◼️ और अगर यह अंदेशा हो कि, अगर मैं क़याम (खड़े होने) की हा़लत में 3 तकबीरात कहने लग गया, तो इमाम रुकू से उठ जाएगा, तो ऐसी सूरत में नियत बांधने के बाद सीधा रुकू में चला जाए और रुकू ही में हाथ उठाए बगै़र तीनों तकबीरात कह ले और रुकू की तस्बीह़ात भी पढ़े। अलबत्ता अगर तस्बीह़ात पढ़ने का वक़्त ना हो, तो सिर्फ़ ई़द की तकबीरात ही कह ले।


◼️ अगर रुकू में 3 तकबीरात कहने से पहले ही इमाम रुकू से उठ जाए, तो यह मुक़्तदी भी खड़ा हो जाए और जो तकबीरात रह गई हैं, वो माफ़ हैं।

عالمگیریہ، فتح القدیر، رد المحتار)


3️⃣ अगर कोई शख़्स ऐसे वक़्त में नमाज़ में शरीक हुआ कि, इमाम पहली रकअ़त के रुकू से उठ चुका था, या दूसरी रकअ़त शुरू कर चुका था, तो अब चूंकि ये रकअ़त निकल चुकी है, ऐसी सूरत में यह शख़्स इमाम के साथ नमाज़ में शामिल हो जाए, फिर इमाम के सलाम फेरने के बाद जब अपनी बक़िया नमाज़ पूरी करेगा, तो उस में यह तकबीरात कहेगा।


🌹 मसअलह:

इमाम के सलाम के बाद पहली रकअ़त अदा करने का तरीक़ा ये है कि, पहले सना पढ़े, फिर अऊ़ज़ुबिल्लाह, फिर बिस्मिल्लाह, फिर सूरह फ़ातिह़ा और फिर कोई सूरत मिलाए और फिर रुकू में जाने से पहले ई़द की तीन जा़इद तकबीरात कह ले; जिसका तरीक़ा वही है जो दूसरी रकअ़त में रुकू से पहले तकबीरात अदा करने का है; लेकिन अगर ई़द की ज़ाइद तकबीरात सना के बाद क़िराअत से पहले ही कह ले, तब भी दुरुस्त है।


4️⃣ अगर कोई शख़्स दूसरी रकात में ऐसे वक़्त में पहुंचा, जब इमाम ई़द की तकबीरात कहकर रुकू में जा चुका था, तो इस सूरत में भी पहली रकअ़त की तरह़ अ़मल करेगा कि:


◼️ अगर उसको ग़ालिब (ज़्यादा) गुमान हो कि, मैं क़याम यानी खड़े होने की हा़लत में ही 3 तकबीरात कहकर इमाम के साथ रुकू में शामिल हो जाऊंगा, तो नियत बांधने के बाद क़याम की हा़लत में 3 तकबीरात कहकर रुकू में शामिल हो जाए।


◼️ और अगर यह अंदेशा हो कि, अगर मैं क़याम की हा़लत में 3 तकबीरात कहने लग गया, तो इमाम रुकू से उठ जाएगा, तो ऐसी सूरत में नियत बांधने के बाद सीधा रुकू में चला जाए और रुकू ही में हाथ उठाए बगै़र तीनों तकबीरात कह ले और रुकू की तस्बीह़ात भी पढ़े; अलबत्ता अगर तस्बीह़ात पढ़ने का वक़्त ना हो तो सिर्फ़ ई़द की तकबीरात ही कह ले।


◼️ अगर रुकू में 3 तकबीरात कहने से पहले ही इमाम रुकू से उठ जाए, तो यह मुक़्तदी भी खड़ा हो जाए और जो तकबीरात रह गई हैं वो माफ़ हैं।

इस सूरत में इमाम के सलाम के बाद जब अपनी बक़िया नमाज़ पूरी करेगा, तो उसका तरीका़ वही है जो ऊपर बयान हो चुका है। (ऊपर 🌹मसअला हेडिंग के बाद लिखा है।)


5️⃣ अगर कोई शख़्स ई़द की नमाज़ में ऐसे वक्त में पहुंचा कि, इमाम दूसरी रकात के रुकू से उठ चुका था, यानी उस से ई़द की दोनों रकाते निकल चुकी थीं, तो वह इमाम के साथ शरीक हो जाए और इमाम के सलाम फेरने के बाद यह दोनों रकातें अदा करे, जिसको अदा करने का तरीक़ा वही है जो ई़द की नमाज़ का है: यानी पहली रकात में सना के बाद 3 तकबीरात कहेगा (दो में हाथ उठा कर छोड़ दे, तीसरी तकबीर में हाथ बांध ले) फिर उस के बाद क़िराअत कर ले, और दूसरी रकात में क़िराअत के बाद और रुकू से पहले 3 तकबीरात कहेगा (तीनों में हाथ उठा कर छोड़ देगा और चौथी तकबीर कह कर बगै़र हाथ उठाए रुकू में चला जाएगा)।


6️⃣ अगर कोई शख़्स ऐसे वक़्त में नमाज़ के लिए पहुंचा कि, इमाम आख़िरी का़यदे में था, तो मुक़्तदी को चाहिए कि नियत बांधकर जमाअ़त में शामिल हो जाए और इमाम के सलाम फेरने के बाद अपनी दो रकातें अदा करे, जिस का तरीक़ा वही है जो ई़द की नमाज़ का है जैसा कि ऊपर बयान हो चुका।

(رد المحتار، فتاویٰ عالمگیری ودیگر کتب فقہ)


✍🏻___ मुफ्ती मुबीनुर रह़मान साह़ब दामत बरकातुहुम

फाज़िल जामिआ़ दारुल उ़लूम कराची

हिंदी तर्जुमा, इख्तिसार व तस्हील:

अल्तमश आ़लम क़ासमी

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