शकीलियत का फितना (2)



 शकील बिन हनीफ़ part 2


अपने असरात डालने के बाद ये अपने मुखातब से कयामत की निशानियों की चर्चा करते हैं, और इसके मिसाल में नए साइंसी खोजों और मौजूदा दुनिया के कुछ हालात व वाकयात को पेश करते हैं, उम्मत की मज़लूमियत का रोना रोते हैं।


इस दरमियान में ये कोशिश करते हैं कि इनका मुखातब इनकी किसी बात की तसदीक (पुष्टि) के लिए उलमा के पास न जाने पाए, इसके लिए वह इन मुखातबों के दिमाग में यह बैठाने की कोशिश करते हैं कि उलमा क्यामत की निशानियों को नहीं जानते, उन्हें तो बस पढ़ाई के दौरान कुछ ही बातों को पढ़ाया जाता है, जिनका सम्बंध नमाज़, रोज़ा जैसे मसाएल से होता है। ताकि यह किसी मस्जिद के इमाम या किसी मदरसे के उस्ताद बन सकें। बल्कि थोड़ा ज़हर भी भर देते हैं।


उनका मुखातब ये सब सुनकर उसको दीन का माहिर (ज्ञानी) समझने लगता है और उलमा से ज़्यादा जानकार समझ बैठता है। अब वह जो बात बता दे उस पर विश्वास कर लेता है।


उसके बाद ये अपने मुखातब को समझाता है कि दज्जाल आ चुका है और वह अमरीका और फ्रांस को दज्जाल बताता है, और कहता है कि रसूलुल्लाह (ﷺ) ने जो बताया था कि दज्जाल की पेशानी पर काफिर लिखा होगा, तो इससे आप (ﷺ) का इशारा दो मुल्क अमरीका और फ्रांस की तरफ है। इस लिए कि जब दोनों मुल्कों का नाम एक साथ ऊर्दू में लिखा जाता है (امریکافرانس) तो बीच में काफिर लिखा हुआ होता है, दज्जाल के एक आँख से वह मतलब सेट्ललाईट का लेता है। बाज़ हदीसों में है कि दज्जाल की सवारी गधा की होगी, उससे मुराद ये फाइटरप्लेन लेते हैं। और इसी तरह की कुछ और बातें करते हैं। दज्जाल की बाबत अपनी बातों के बाद ये शकीलियत वाले कहते हैं कि दज्जाल के बाद "महदी व मसीह" को आना था और वह आ चुके हैं और अब निजात का बस यही एक ज़रिया है कि हम उनके हाथ पर बैअत कर लें। 

अगर सामने वालाबंदा मुतास्सिर हो जाता है। और यह ख्वाहिश जाहिर करता है कि मुझे भी 'सफीने-ए-निजात' में सवार होना है तो उसे आम तौर पर पहले सुबाई अमीर के पास भेजा जाता है, मिसाल के तौर पर यू०पी० में बनारस भेज दिया जाता है, जहाँ बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी में जेरे तालिम (स्टूडेंट) एक नौजवान से उसकी मुलाकात होती है, ये अपने को यू०पी० में इस झूठे महदी व मसीह मिशन का अमीर बताता है, और फिर कुछ दिनों के बाद औरंगाबाद भेज कर शकील के हाथ पर बैअत करा दी जाती है। लेकिन इस बात का पुरा ख्याल किया जाता है कि बैअत से पहले इस झूठे महदी व मसीह का असली नाम सामने न आए, यहाँ तक कि लोगों के पुछने पर भी इसका असली नाम नहीं बताते हैं ताकि वह शख्स कहीं किसी से बता भी दे तो लोगों को यह न मालूम हो कि किस मसीह की दावत दी जा रही है।

✍️ Mufti Siraj Sidat 

शकीलियत का फितना पहला पार्ट


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